बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 का आयोजन दो चरणों में हुआ — पहले चरण में 6 नवंबर को 121 सीटों पर एवं दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों पर मतदान हुआ।
मतदान में जो उत्साह देखने को मिला वह काफी उल्लेखनीय रहा। कुल मिलाकर लगभग 66.91 % मतदान हुआ, जो कि इस तरह के चुनावों में रिकॉर्ड के क़रीब है। महिलाओं की भागीदारी भी जादुई रही — महिला वोटिंग पुरुषों से आगे रही।

प्रमुख बिंदु
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मतदान की संख्या: दूसरे चरण में कई जिलों में 68 % से अधिक वोटिंग दर्ज हुई।
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निष्पक्ष चुनाव व्यवस्था: इस बार चुनाव आयोग ने यह बताया कि लगभग “रिपोलिंग (पुनर्मतदान)” की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी है, जो कि चुनावी प्रक्रिया की गुणवत्ता को दर्शाता है।
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मतगणना तिथि: मतगणना 14 नवंबर को सुबह 8 बजे आयोजित की जाएगी।
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एग्जिट पोल का रुझान: अधिकांश एजेंसियों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को बहुमत की ओर बढ़ता हुआ पकड़ा है।
राजनीतिक समीकरण और संभावित बदलाव
राजनीतिक दृष्टि से इस चुनाव में दो प्रमुख गठबंधनों ने अपनी व्यवस्था बनाई थी:
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एनडीए — जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) आदि शामिल हैं।
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महा‑गठबंधन — जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस व अन्य पार्टियाँ शामिल थीं।
एग्जिट पोल्स के अनुसार, एनडीए को अनुमान है कि लगभग 140–150 सीटें मिल सकती हैं, जबकि महा-गठबंधन को लगभग 80–90 सीटें मिल सकती हैं। अगर यह अनुमान सटीक साबित होते हैं, तो बिहार में फिर से एनडीए बहुमत के साथ सरकार बना सकती है।
दूसरी ओर, महा-गठबंधन ने परिणाम से पहले ही जीत का दावा कर दिया है और उन्होंने मतदाताओं की ओर से समर्थन मिलने का दावा किया है।
सत्ता के लिए क्या अर्थ होगा यह परिणाम?
यदि एनडीए को बहुमत मिलता है तो मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चौथी बार मुख्यमंत्री बन सकते हैं, जैसा कि पूर्व सदस्य प्रतिपादन कर रहे हैं (उदाहरणस्वरूप: जदयू कार्यालय में “टाइगर अभी ज़िंदा है” पोस्टर लगना)।
दूसरी ओर, अगर महा-गठबंधन को अपेक्षा से अधिक सीटें मिलती हैं, तो राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव की संभावना है — जैसे सत्ता-शक्ति के नए समीकरण, नए चेहरे, नई रणनीतियाँ।

प्रमुख प्रत्याशियों की स्थिति
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सम्राट चौधरी (भाजपा) — टैрапुर क्षेत्र में मुख्य मुकाबले में हैं। सहयोगी दलों के बीच ये मुकाबला महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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मैथिली ठाकुर (भाजपा) — सांस्कृतिक छवि वाली इस 25 वर्षीया उम्मीदवार ने एलिनागर प्रत्याशी के रूप में पहली बार चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है।
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नीतीश कुमार (जदयू) और तेजस्वी यादव (राजद) — ये दोनों इस चुनाव के महत्वपूर्ण चेहरे हैं। मतदान से पहले सर्वे में नीतीश कुमार को समर्थक के रूप में थोड़ा आगे दिखाया गया है।
सीट-वाइज प्रतिस्पर्धा और क्षेत्र-विश्लेषण
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सर्वेक्षणों में प्रमुख अनुमान: एनडीए को लगभग 133-159 सीटें मिल सकती हैं, जबकि महा-गठबंधन को 70-100 सीटें के आसपास रहने की संभावना बताई गई है।
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विशेष क्षेत्रों में पटना प्रमंडल (जैसे पटना शहर एवं आसपास के जिलें) को बहुत अहम माना गया है। यहाँ की सीटें सत्ता के समीकरण को बदल सकती हैं।
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निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत भी महत्वपूर्ण है — उच्च मतदान दर ने यह संकेत दिया है कि जनता सक्रिय है।
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कुछ सीटों पर जात-पात और स्थानीय समीकरण (जैसे उम्मीदवार का नाम, क्षेत्रीय पहचान) ने निर्णायक भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए, नालंदा सीट पर रिकॉर्ड मतदान हुआ है।
चुनौतियाँ और ध्यान देने योग्य बातें
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रिकॉर्ड मतदान दिखाता है कि मतदाता सक्रिय रहे हैं, लेकिन यह भी प्रश्न उठता है कि इतने अधिक मतदान के पीछे कारण क्या थे — क्या प्रवासी मतदान, मौसम, त्योहार आदि ने भूमिका निभाई?
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लेकिन परिणाम आने तक हमेशा कुछ अस्थिरता बनी रहती है — मतगणना की प्रक्रिया, अंत में सीटें किस तरह वितरण होती हैं, गठबंधनों के भीतर सीट वितरण कैसे होगा — ये सभी अभी खुलासा होने बाकी हैं।
बिहार चुनाव 2025 ने कई मायनों में यह संदेश दिया है कि लोकतंत्र जीवन्त है — जहाँ मतदाता सक्रिय हैं, जहाँ चुनाव-प्रक्रिया में सुधार हो रहे हैं, और जहाँ सत्ताधारी दल एवं विपक्ष दोनों को उत्साह के साथ नए आदेश की तैयारी करनी है।
अब मतदान ख़त्म हो गया है — लेकिन असली प्रतियोगिता अभी शुरू होने वाली है: मतगणना, सीटों का बंटवारा, और नए सरकार-गठबंधन की दिशा। 14 नवंबर को जब परिणाम घोषित होंगे, तब बिहार की राजनीति नया अध्याय लिखने जा रही है।