26 अगस्त (अर्धकुमारी) गुफा के पास अचानक भूस्खलन हुआ, जिसमें तेज बारिश के चलते मलबा और भारी रॉक गिरते हुए श्रद्धालुओं पर आया। इससे यात्रा मार्ग पर भारी तबाही हुई— कम से कम 5 श्रद्धालुओं की जान गई और 14 घायल हुए।
हादसा दोपहर लगभग 3 बजे के करीब हुआ था, और यह लगभग 12 किमी लंबे ट्रैक के मध्य में घटित हुआ जिसे श्रद्धालु मंदिर तक पहुँचने के लिए प्रयोग करते हैं।

तत्काल प्रभाव:
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यात्रा तुरंत रोक दी गई — दोनों ट्रेक रूट्स (पुराना और हिमकोटी) को बंद कर दिया गया।
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सभी स्कूल, कॉलेज बंद कर दिए गए (27 अगस्त तक)।
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प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी किया और इमरजेंसी कंट्रोल रूम 24×7 चालू रखे गए।
बचाव एवं राहत प्रयास:
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एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, सेना, और श्राइन बोर्ड की टीमें तुरंत राहत कार्य में जुट गईं।
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आर्मी के व्हाइट नाइट कोर की तीन राहत यूनिटें कटरा और आसपास के क्षेत्रों में भेजी गईं।
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घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया और राहत प्रक्रिया जारी रही।
27 अगस्त — बारिश जारी, परिस्थिति बिगड़ती हुई
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जम्मू क्षेत्र में भारी बारिश और बाढ़ से कुल 10 लोग मरे, जिनमें कई लैंडस्लाइड या फ्लैश फ्लड की वजह से थे।
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एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि उसी भूस्खलन में 30 लोगों की मौत, कई घायल और बुनियादी संरचनाओं को भारी नुकसान हुआ— जैसे पुल ढहना, संचार बाधित होना आदि।
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ऊँची प्राथमिकता पर rescue और राहत काम जारी थे, साथ ही मौसम विभाग ने आगे बारिश की चेतावनी जारी की।
यह घटना मॉनसून की तीव्रता और हिमालयी क्षेत्र की संवेदनशीलता का एक कड़ा सच है। इस दुःखद सन्दर्भ में, हमें भी सामूहिक रूप से सोचने और तैयार रहने की ज़रूरत है कि कैसे हम संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा एवं बचाव कार्यों को सशक्त बना सकते हैं।