PM Modi Xi Jinping Set to Meet at SCO Summit in China on Aug 31″मोदी-शी 31 अगस्त को चीन में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान करेंगे मुलाकात”

SCO शिखर सम्मेलन और द्विपक्षीय मुलाकात का महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चीन के तिआंजीन शहर में आयोजित होने वाले 25वें SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना होंगे । यह मोदी का सात वर्षों बाद चीन का पहला दौरा होगा, क्योंकि उनकी पिछली यात्रा 2018 में हुई थी ।

शी जिनपिंग, चीन के राष्ट्रपति और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता प्रमुख, इस सम्मेलन की मेज़बानी करेंगे जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत 20 से अधिक देशों के शीर्ष नेता शामिल होंगे । इस आयोजन को “ग्लोबल साउथ की एकता” का प्रतीक माना जा रहा है, खासकर अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए व्यापारिक और राजनीतिक दबाव के बीच।

बाधरहित वापसी: शांति और कूटनीतिक बढ़त

ऐसा प्रतीत होता है कि यह बैठक दोनों देशों के बीच सीमा विवादों के बाद रिश्तों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 2020 में गालवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के बाद द्विपक्षीय संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे  । लेकिन वर्ष 2024 की BRICS शिखर बैठक में मोदी और शी के बीच हुए सकारात्मक जुड़ाव के बाद इस तनाव में कमी आई; LAC (लाइन ऑफ एक्टुअल कंट्रोल) पर पैट्रोलिंग समझौता हुआ और विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत फिर से शुरू हुई ।उसी क्रम में, दोनों देशों ने व्यापार, सीमा व्यापार, वीजा और पर्यटक वीज़ा (जैसे काइलेश मानसरोवर यात्रा) फिर से शुरू करने पर भी चर्चा की है । इसके अलावा, चीन ने भारत को दुर्लभ उप-स्थापनाओं (rare earth elements) और उर्वरकों पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों को हटाने का आश्वासन भी दिया है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि क्षेत्रों को फायदा होगा।

SCO सम्मेलन की रणनीतिक भूमिका

विश्लेषकों की राय है कि इस बैठक से वास्तविक सामरिक निर्णयों की अपेक्षा कम है, लेकिन यह यात्रा दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे के साथ दुश्मनी की बजाय सहयोग की इच्छा को दर्शाती है। SCO अब अपने स्थापना सुरक्षा संरक्षण से बढ़कर आर्थिक, जलवायु, डिजिटल और हरित ऊर्जा क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर जोर दे रहा है ।

विश्लेषक एरिक ओलेंडर का मानना है कि इस मंच का वास्तविक प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन इसका “प्रतिकात्मक शक्ति” — यानी Global South राष्ट्रों की एकता प्रदर्शित करना — काफी मायने रखता है । चीन इस सम्मेलन के माध्यम से एक “नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था” का मॉडल पेश कर रहा है, जहाँ अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती दी जा रही है।

सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय वार्ता की संभावना

विदेश मंत्रालय (MEA) ने पुष्टि की है कि पीएम मोदी न केवल सम्मेलन के मुख्य कार्यक्रम में शामिल होंगे, बल्कि समारोहों के दौरान द्विपक्षीय बैठकें भी संभव हैं। यह बैठक सीमा, आतंकवाद, व्यापार, ऊर्जा एवं लोगों के बीच संपर्क जैसे विषयों पर भी हो सकती है।

टिप्पणियाँ और महत्व

  • संबंधों का संवेदनशील संतुलन: यह यात्रा ग्रुप ऑफ वेस्ट और चीन-रूस के बीच भारत की सामरिक संतुलन नीति का हिस्सा है।

  • प्रतिकात्मक राजनीतिक संदेश: यह यात्रा भारत की वैश्विक मंचों पर सक्रिय भागीदारी और चतुर कूटनीति को दर्शाती है।

  • परिणाम और अपेक्षाएं: वास्तविक निर्णयों से ज्यादा महत्वम SCO में भारत की सक्रिय उपस्थिति और रणनीतिक संवाद को दिया जा रहा है।

31 अगस्त को SCO सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित मुलाकात दो पूर्व विरोधियों के बीच कूटनीतिक वापस शुरू करने का प्रतीक है। इस मुलाकात का वास्तविक लक्ष्‍य बड़ी साझेदारी से अधिक एक दूसरे के साथ संवाद और व्यापक भारतीय हितों के अनुरूप रणनीतिक सहयोग को संतुलित करना है।

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