प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2025 को तमिलनाडु के कोयंबटूर से PM-Kisan योजना की 21वीं किस्त जारी की। इस किस्त में लगभग 9 करोड़ किसानों के बैंक खातों में ₹2,000 प्रतिलाभरू (DBT के माध्यम से) ट्रांसफर किए गए। बताया जा रहा है कि कुल मिलाकर लगभग ₹18,000 करोड़ की राशि विभिन्न किसानों के खातों में गई है।
क्यों पहले समय पर जारी हुई किस्त?
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सामान्यत: PM-Kisan की किस्त हर 4 महीने में दी जाती है।
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इस बार एडवांस में 21वीं किस्त देने की बात कही गई थी, क्योंकि सरकार बाढ़ और अन्य आपदाओं की स्थिति को देखते हुए किसानों को पहले राहत देना चाहती थी।
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कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि दिवाली (सितंबर-अक्टूबर) के समय किसानों को यह किस्त एक तरह का “त्योहार तोहफा” के रूप में मिल सकती है।
किसानों को ध्यान देने योग्य चीजें
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e-KYC: जिन किसानों ने अभी तक e-KYC पूरा नहीं किया है, उन्हें तेजी से यह प्रोसेस पूरा करना होगा क्योंकि इसे 21वीं किस्त के लिए अनिवार्य बताया गया है।
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आधार–बैंक लिंकिंग: अगर किसान का बैंक खाता आधार कार्ड से लिंक नहीं है, तो किस्त नहीं पहुँच सकती है।
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संदिग्ध नाम: सरकार के मुताबिक, लगभग 31 लाख संदिग्ध लाभार्थी सूची में हैं, और यदि उनकी जांच में समस्या पाई गई, तो उन्हें 21वीं किस्त न मिले।
योजना का महत्व और प्रभाव
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PM-Kisan योजना 2019 से चल रही है और यह छोटे और सीमांत किसानों को सालाना ₹6,000 (तीन किस्तों में) सीधे बैंक खाते में देती है।
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अब तक 20 किस्तों के माध्यम से देशभर के करोड़ों किसानों को बड़ा आर्थिक सहारा मिल चुका है।
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राजस्थान में, उदाहरण के लिए, मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत राज्य सरकार भी किसानों को अतिरिक्त राशि देती है। राजस्थान के CM ने कहा कि अब वे सालाना सहायता को ₹12,000 तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
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ओडिशा में भी 34.12 लाख से अधिक किसानों को इस 21वीं किस्त के तहत ₹2,000 मिले हैं।
धोखाधड़ी और सावधानियाँ
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सरकार ने किसानों को फर्जी मैसेज और धोखाधड़ी वाले संदेशों के प्रति सतर्क रहने की चेतावनी दी है।
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लाभार्थियों को सलाह दी गई है कि वे किसी भी अपडेट या ट्रांसफर की जानकारी सिर्फ ऑफिशियल PM-Kisan पोर्टल (pmkisan.gov.in) पर ही देखें और अज्ञात स्रोतों पर भरोसा न करें।
आगे की उम्मीदें
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21वीं किस्त का समय से पहले जारी होना सरकार की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, खासकर उन समयों में जब किसान आर्थिक और मौसमी चुनौतियों का सामना कर रहे हों।
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हालांकि, e-KYC और बैंक-आधार लिंकिंग जैसी प्रक्रियाओं की अनिवार्यता ने यह दिखाया है कि डिजिटल व पूंजीगत बुनियादी ढांचे को मज़बूती से लागू करना कितना ज़रूरी है ताकि लाभार्थी किसी चूक से वंचित न रहें।
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आगे यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में ऐसी किस्तें कितनी नियमित होंगी और योजना यह सुनिश्चित करने में कैसे सफल होगी कि हर पात्र किसान को समय पर लाभ मिले।