Lalbaugcha Raja Visarjan 2025: लालबागचा राजा का विसर्जन 33 घंटे बाद हुआ

 लालबागचा राजा का विसर्जन चंद्रग्रहण के दौरान हुआ, जिसे मछुआरा समिति ने तीव्र आलोचना का विषय बना लिया है। समिति का मानना है कि धार्मिक रीति-रिवाजों का उल्लंघन करते हुए विसर्जन करना अवांछित और आपत्तिजनक था। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उनके अनुसार, पारंपरिक धार्मिक दृष्टिकोणों की अनदेखी की गई है।

लंबी प्रतीक्षा का कारण

मुंबई में गणेश विसर्जन के दौरान कई मंडलों की योजना अधूरी रही, जिससे विसर्जन में भारी देरी हुई। लालबागचा राजा विशेषतः लगभग 24 से 36 घंटे तक विलंब का सामना करना पड़ा—राफ्ट की ऊंचाई और मछुआरों द्वारा दिए गए समय निर्धारण की चेतावनी के बावजूद विसर्जन समय पर नहीं हो पाया। लोकसत्ता के अनुसार, विसर्जन यात्रा 6 सितंबर की सुबह 10 बजे शुरू हुई थी, लेकिन 33 घंटे बाद—यानी 7 सितंबर की रात लगभग 9 बजे—विसर्जन सम्पन्न हुआ। अंततः गिरगाव चौपाटी पर गहरे समुद्र में ही विसर्जन संपन्न हुआ।

श्रद्धालुओं की भावुकता और भारी भीड़

विसर्जन के समय गिरगाव चौपाटी पर भारी भीड़ उमड़ी, जहाँ भक्त “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारों के साथ उपस्थित थे। भक्तों की आंखें नम थीं—यह मिरवणूक श्रद्धा और भावनाओं से जुड़ा एक गहरा पल था।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के निदेशक अनंत अंबानी इस विसर्जन में एक साधारण भक्त की भांति शामिल थे। उन्होंने किसी विशेष पहचान नहीं दिखाई, बल्कि भीड़ में भक्तों के साथ चलते हुए बप्पा को श्रद्धापूर्वक निरोप दिया—जिससे उनकी आस्था ने सबको प्रभावित किया।

श्रद्धा और भीड़ की अनुभूति:
मुंबई का यह पंडाल अपने विशाल भक्तों और उनकी श्रद्धा के लिए मशहूर है। इस बार भी भक्तों ने “पुढच्या वर्षी जल्दी या” के उद्घोषों के साथ भावुक विसर्जन किया। भीड़ की उपस्थिति और भावनात्मक आस्था की झलक पिछले सालों की तरह मजबूत थी।

लालबागचा राजा का यह विसर्जन न केवल एक धार्मिक घटना था, बल्कि यह प्रशासनिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोणों से भी महत्वपूर्ण रहा। प्रचलित धार्मिक मान्यताओं से हटकर विसर्जन, तकनीकी व्यवधानों से गुजरना, और फिर भी भक्तों का भावनात्मक समर्थन—ये सब मिलकर इसे एक यादगार और चर्चित आयोजन बना गए।

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