आकलन वर्ष (Assessment Year) 2025‑26 के लिए ITR दाखिल करने की सामान्य समय-सीमा 31 जुलाई, 2025 थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 15 सितंबर, 2025 कर दिया गया है।
यह बदलाव उन करदाताओं के लिए है जिनके लिए ऑडिट की ज़रूरत नहीं है।
सरकार ने 16 सितंबर को आकलन वर्ष 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि को एक दिन बढ़ाकर 16 सितंबर कर दिया है, क्योंकि अंतिम दिन तकनीकी गड़बड़ियों के कारण फाइलिंग में बाधा आई थी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में बताया कि 15 सितंबर तक रिकॉर्ड 7.3 करोड़ से अधिक ITR दाखिल किए गए, जो पिछले वर्ष के 7.28 करोड़ के आंकड़े को पार कर गया।

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अब भी समय है — लाखों करदाता फाइल कर चुके हैं, बाकी करदाताओं से आग्रह
विभाग ने बताया है कि अब तक 6 करोड़ से अधिक ITR दाखिल हो चुके हैं।
ऐसे बहुत से लोग अभी भी बचे हैं, जिन्हें दाखिला नहीं किया है; समय रहते फाइल करना ज़रूरी है ताकि जुर्माना न लगे। -
ITR‑U: अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की सुविधा
बजट 2025 में किया गया बदलाव है जिसके तहत करदाता अगर पहले ITR भर चुके हैं, लेकिन उसमें कमियाँ या गलतियाँ हों, तो वे “अपडेटेड रिटर्न” (ITR‑U) फॉर्म के ज़रिए चार साल तक सुधार कर सकते हैं।
सुधार की सीमा (window) अब 48 महीने की है — यानी पिछले चार साल के लिए सुधार किया जा सकता है।
‒ इस मामले में अतिरिक्त कर (additional tax) लागू होगा। यदि अपडेटेड रिटर्न जल्दी दाखिल किया गया हो, तो कम प्रतिशत, और यदि देर से हो, तो ज़्यादा। -
छूट‑योग्य आय (Exempt Income) के दावों पर नोटिस
विभाग ने उन पेशेवरों और रिटायर व्यक्तियों को नोटिस भेजें हैं जिनके ITR में ऐसी आय दिखाई गई है जिसे कर‑मुक्त माना जाता है ( जैसे PPF, कुछ पेंशन आदि), लेकिन उनके पास पर्याप्त दस्तावेज नहीं हैं।
यदि सही समर्थन नहीं मिला, तो जुर्माना या ब्याज लगाया जा सकता है। -
ITR‑Forms में बदलाव हुए हैं
वित्त अधिनियम (Finance Act) 2024 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, ITR‑Forms (जैसे ITR‑1, ITR‑4 इत्यादि) में कुछ संशोधन किए गए हैं ताकि टैक्सपेयरों के लिए प्रक्रिया आसान हो सके।
For example, ITR‑1 और ITR‑4 फॉर्म्स अब Excel यूटिलिटी सहित उपलब्ध हैं।
अगर समय पर रिटर्न न भरें तो क्या होगा?
आपने जितनी देर से सुधार किया है, उस आधार पर अतिरिक्त टैक्स की राशि तय होती है – जितनी ज्यादा देर, उतना अधिक टैक्स देना पड़ता है। इसलिए करदाता को सलाह दी जाती है कि अगर रिटर्न में कोई त्रुटि हो, तो उसे समय रहते ठीक करें, ताकि अतिरिक्त बोझ से बचा जा सके।
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शुल्क / जुर्माना (Late fee) लगेगा। सहमति से जुड़ी राशियों पर यह ₹1,000 या ₹5,000 हो सकता है, इनकम आदि पर निर्भर करता है।
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रिफंड में देरी हो सकती है।
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कुछ लाभ (losses) का कैरी‑फॉरवर्ड करना संभव नहीं होगा, जैसे कुछ प्रकार के कर घाटे यदि समय पर दाखिल न किया गया हो।