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Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा ,भक्ति, प्रकृति और परंपरा का पर्व

तिथि व मुहूर्त

इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2025 की तिथि बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 तय की गई है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है, जो इस साल 21 अक्टूबर शाम से शुरू होकर 22 अक्टूबर रात तक है।
मुख्य पूजा के शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

📖 पौराणिक कथा व आध्यात्मिक महत्व

गोवर्धन पूजा का मूल स्रोत है उस प्रसिद्ध कथा का जब कृष्ण ने अपने नन्हे उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया था, जब इंद्र अत्यधिक वर्षा भेजकर ब्रजभूमि के लोगों तथा गौ‑पशुओं को नुकसान पहुँचाना चाह रहे थे। कृष्ण ने पहाड़ को छप्पर की तरह उठा कर उन्हें सुरक्षित रखा। 
इस क्रिया के द्वारा यह संदेश मिलता है:

  1. प्रकृति, अन्न, गौ‑पशु और भूमि‑जल का आदर करना।

  2. अहंकार से ऊपर उठकर समर्पण, भक्ति और कृतज्ञता दिखाना।

  3. सामूहिकता, श्रद्धा व उत्सव के माध्यम से जीवन के मूल्यों को संवर्धित करना।

🕉️ पूजा‑विधि व प्रमुख परंपराएं

गोवर्धन पूजा के दौरान मुख्य रूप से इस प्रकार की परंपराएँ होती हैं:

  1. मिट्टी, गोबर या अन्य सामग्री से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमूर्ति बनाना।

  2. उस पर्वत के सामने विविध शाक‑भाजियाँ, दाल‑चावल, मीठे, फल आदि से अन्नकूट की स्थापना करना। भोजन‑डाली की यह व्यवस्था ‘मांगण’ का प्रतीक है।

  3. दीपक जलाना, भजन‑आरती करना, गौ‑पूजन व वातावरण‑शुद्धि करना।

  4. कुछ क्षेत्रों में ‘द्युता क्रीडा’ नामक पारंपरिक खेल‑गणना भी होती है, जो सुख‑समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

  5. गुजरात में यह दिन नए वाणिज्यिक वर्ष की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है, जहाँ लोग व्यापार‑पुस्तकें खोलते हैं।

 2025 की प्रमुख खबरें

  1. तिथि विवाद और स्पष्टता
    इस वर्ष शुरुआत में यह प्रश्न उठा कि गोवर्धन पूजा 21 अक्टूबर को मनाई जाए या 22 अक्टूबर को। कई पंडितों ने 22 को अधिक शुभ माना क्योंकि प्रतिपदा तिथि उस दिन सूर्योदय तक वैध थी।

  2. प्रकृति‑संबंधी संदेश व विकास पहल
    मध्य प्रदेश सरकार ने इस पर्व को ‘प्रकृति‑सह‑विकास’ के रूप में लिया है। गौ‑संरक्षण, आधुनिक गोशालाएं व दुधारू‑उद्योग को बढ़ावा देने की घोषणाएँ सामने आई हैं।

  3. सुरक्षा व शांति का संदेश
    उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से पर्व को शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित रूप से मनाने के लिए पुलिस अधीक्षक ने बाजारों और जन‑स्थितियों में अतिरिक्त सतर्कता रखने का निर्देश दिया है। समुदाय‑स्तरीय आयोजन व सहभागिता
    विभिन्न मंदिरों और सामाजिक संस्थाओं ने इस वर्ष विशेष रूप से अन्नकूट‑भोजन, सामुदायिक भजन‑सभा व पवित्र पर्वत प्रतिमूर्ति निर्माण जैसे कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

🌱 आधुनिक परिप्रेक्ष्य व अर्थ

जब हम आज के समय में इस पर्व की प्रासंगिकता पर विचार करते हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि गोवर्धन पूजा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति‑प्रेम, सामाजिक समरसता व आर्थिक‑सहयोग का उत्सव भी है।

गोवर्धन पूजा 2025 के अवसर पर हम न केवल भगवान कृष्ण की लीला को याद करते हैं, बल्कि यह पर्व हमें यह स्मरण कराता है कि हम प्रकृति के अभिन्न अंग हैं। इस दिन हम दीपक जलाकर, अन्नकूट आराधना करके और साथ‑साथ मिलकर सामाजिक‑सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सहभागिता कर यह संदेश देते हैं कि भक्ति, सम्मान, समर्पण और साझा‑जीवन ही हमारे अस्तित्व की सच्ची नींव है।

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