दीवाली : परंपरा, आस्था और रोशनी का पर्व
भारत एक सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं से भरा देश है, जहां हर पर्व अपने भीतर गहराई, परंपरा और मान्यता समेटे होता है। इन्हीं पर्वों में सबसे महत्वपूर्ण और भव्य त्योहार है दीवाली, जिसे प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है। दीवाली सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि एक पूरे सप्ताह चलने वाला त्योहार है, जिसकी शुरुआत होती है धनतेरस से और जिसका समापन भाई दूज पर होता है।

2025 में दीवाली (लक्ष्मी पूजा) 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। इस वर्ष अमावस्या तिथि (कार्तिक अमावस्या) 20 अक्टूबर को दोपहर लगभग 3:44 बजे से आरंभ होगी और अगले दिन 21 अक्टूबर को 5:54 बजे तक रहेगी। अतः यह समय (अमावस्या तिथि) शाम के समय तक जारी रहेगा और उसी समय मध्याह्न के बाद से पूजा और अन्य अनुष्ठान किए जाएंगे।
कुछ स्रोतों में यह मतभेद भी दिखाया गया है कि दीवाली 21 अक्टूबर को मनाई जाए — क्योंकि अमावस्या तिथि 21 को भी शामिल है। लेकिन अधिकांश पंडित एवं पञ्चांग विद्वानों द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि पूजा 20 अक्टूबर की शाम को की जाए।
धनतेरस – समृद्धि की कामना का दिन
धनतेरस, दीवाली पर्व की शुरुआत का पहला दिन होता है। यह कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में धनतेरस 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसे आयुर्वेद, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि से जोड़ा गया है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जो आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं।
इस दिन लोग धातु से बनी वस्तुएं जैसे चांदी, सोना, पीतल या स्टील के बर्तन खरीदते हैं। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, आभूषण आदि खरीदना भी शुभ माना जाता है। व्यापारी वर्ग इस दिन को नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के रूप में मानते हैं और अपने बहीखातों की पूजा करते हैं।
(छोटी दिवाली) – बुराई पर अच्छाई की विजय
धनतेरस के अगले दिन आती है चतुर्दशी, जिसे आमतौर पर छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है। 2025 में यह पर्व 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन राक्षस नरकासुर पर भगवान श्रीकृष्ण की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन को बुराई के अंत और प्रकाश के आगमन का प्रतीक माना जाता है।
दीवाली — शुभ मुहूर्त एवं पूजा समय
– लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 7:08 PM से 8:18 PM (20 अक्टूबर) वह समय है जिस दौरान घरों में लक्ष्मी‑गणेश पूजा, दीप प्रज्ज्वलन व अन्य अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं।
– प्रदोष काल लगभग 5:46 PM से 8:18 PM को विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि यह सूर्यास्त के बाद की प्रारंभिक अवधि होती है जिसमें पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है।
– वृषभ काल 7:08 PM से 9:03 PM उस समय को कहता है जब लग्न व राशि का योग अनुकूल हो, इसलिए पूजा शक्ति एवं स्फूर्ति बढ़ती मानी जाती है।
– निशिता काल 11:41 PM से 12:31 AM (21 अक्टूबर) एक अतिरिक्त मुहूर्त है, जिसे मध्यरात्रि के आस पास शुभ कार्य के लिए उपयोग किया जा सकता है, परंतु पारंपरिक रूप से लक्ष्मी पूजा का सबसे प्रमुख समय शाम का ही माना जाता है।
भाई दूज — तिथि
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कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर 2025 की रात 8:16 बजे से प्रारंभ होकर
23 अक्टूबर 2025 की रात 10:46 बजे तक रहेगी। -
इसलिए, भाई दूज 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त / तिलक समय
भाई दूज पर बहनों द्वारा भाई को तिलक लगाने और पूजा करने का शुभ समय (मुहूर्त) इस प्रकार है:
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शुभ अवधि (तिलक मुहूर्त / आपरण मुहूर्त): 1:13 PM से 3:28 PM तक।
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कुछ स्रोतों में 12:48 PM से 3:24 PM को भी शुभ समय बताया गया है।
अन्य ध्यान देने योग्य बातें
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स्थानानुसार भिन्नता
ये मुहूर्त समय सामान्य पञ्चांग गणनाओं पर आधारित हैं। आपके नगर, क्षेत्र या अक्षांश‑देशांतर के अनुसार कुछ अंतर हो सकता है। इसलिए स्थानीय पंडित या क्षेत्रीय पंचांग का समय अवश्य देखें। -
पूजा पूर्व तैयारी
पूजा से पहले घर की साफ‑सफाई, दीप‑रंगोली, वस्त्र एवं पूजा सामग्री की व्यवस्था करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो घर दीपों व साफ़ सुथरी अवस्था में हों, वहाँ देवी लक्ष्मी का वास शुभ माना जाता है। -
दीप प्रज्ज्वलन
रात में जब पूजा संपन्न हो, तब दीप, मोमबत्तियाँ व दीये जलाए जाते हैं। यह प्रतीक है अन्धकार पर प्रकाश की विजय का। दीपों की व्यवस्था घर के मुख्य द्वार, बरामदे, आंगन आदि जगहों पर की जाती है। -
अनुष्ठान एवं मंत्र
पूजा में श्री गणेश, श्री लक्ष्मी व श्री कुबेर की उपासना की जाती है। मंत्रों, अर्चन, भोग, नैवेद्य आदि विधिपूर्वक किए जाते हैं। -
मुहूर्त ट्रेंडिंग (शेयर बाजार)
दिवाली के दिन भारतीय शेयर बाजार में मुहूर्त ट्रेडिंग का विशेष सत्र चलता है, जो शुभ माना जाता है। 2025 में यह सत्र 21 अक्टूबर, मंगलवार को 1:45 PM से 2:45 PM तक निर्धारित किया गया है।
धनतेरस, छोटी दिवाली और मुख्य दीवाली – ये तीनों पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि ये सामाजिक समरसता, आत्मिक शुद्धि और पारिवारिक एकता के प्रतीक भी हैं। ये त्योहार न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश देते हैं, बल्कि हमें यह भी सिखाते हैं कि जीवन में अच्छाई, सत्य और भक्ति के मार्ग पर चलकर ही सच्ची समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
दीवाली 2025 निश्चित ही फिर से लोगों के जीवन में नई उम्मीदों, नए उजाले और नए संकल्पों को लेकर आएगी। आप सभी को इस पावन पर्व की ढेरों शुभकामनाएं!